Saturday, 19 March 2022

कांजी वड़ा


 

कांजी – एक तरह का फोर्मेतेद राई का पानी होता है.राजस्थान और पश्चिमी उत्तर प्रदेश में होली के अवसर पर यानि मार्च (फागुन) के महीने में कांजी बनाने और पिलाने का एक तरह से रिवाज है. हाजमे के लिए यह एक बेहतरीन पेय समझा जाता है.

सामग्री – कांजी के लिए -

  • 1 लीटर- उबला, थोड़ा ठंडा किया हुआ पानी.
  • 2 चम्मच- राई या पीली सरसों के दाने पिसे हुए.
  • 1 छोटा चम्मच- कालानमक, सादा नमक, भुना पिसा जीरा, पिसी लाल मिर्च.
  • 2 चुटकी हींग.
  • 1 चम्मच – सरसों का तेल
  • 1 बड़ा चम्मच सिरका ( ऑप्शनल)  

सामग्री - वड़े के लिए-

1 कप – धुली मूंग की दाल - कम से कम 4 घंटे(या रात भर) भिगोई हुई

1 इंच अदरक

1 चुटकी हींग

नमक स्वादनुसार

तलने के लिए तेल.

विधि – कांजी के लिए –

उबले हुए पानी को थोड़ा ठंडा करके एक कांच के बर्तन में लें

उसमें पीसी राई और सारे मसाले और सरसों का तेल डालकर अच्छी तरह मिलाये.

अब इसे ढक कर धूप में रख दें

दिन में 1-2 बार इसे चला दें.

2-3 दिन में कांजी खट्टी हो जाएगी. यदि जल्दी इस्तेमाल करना हो तो 1 चम्मच सिरका डाल दें.

विधि - वड़ों के लिए -

भीगी हुई दाल को अदरक डाल कर निम्नतम पानी के साथ पीसें

इसमें नमक और हींग डालकर अच्छी तरह फेंट लें.

अब गरम तेल में, माध्यम आंच पर इनकी पकोड़ी तल लें.

अब कांच के ग्लास में कुछ वड़े या गाजर और कांजी डालकर पियें, पिलायें.

-    खास टिप्स-

  • -    कांजी में मूंग दाल के वड़े डालकर धूप में रखें और खाते समय चाहें तो थोड़ी हरे धनिया, मिर्च की चटनी भी डाल सकते हैं.
  • -    वड़ों के अलावा काली गाजर या सामान्य गाजर भी छील कर और हल्का भपारकर डाली जा सकती है.
  • -    चाहें तो गाजर की कांजी में एक टुकड़ा चुकंदर का डालें, इससे कांजी का रंग बेहद लुहावना हो जाता है.
  • -    भारत की धूप में कांजी 2-3 दिन में ही तैयार हो जाती है. धूप की कमी में कांजी में 1 चम्मच सिरका डालकर बना सकते हैं.